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हाज़िर हूँ श्रीमान

  • nirajnabham
  • Oct 18, 2021
  • 1 min read

मेरे बिखरे-बिखरे बालों पर

मेरे बहकी-बहकी चालों पर

कपड़े ढीले-ढालों पर - मत जाएँ श्रीमान।

आँखों में मेरे चमक वही

साँसों में मेरे दमक वही

बाँहों में मेरी कसक वही - परखेंगे श्रीमान।

प्यार में मेरे वही तपिश

बातों में मेरे वही कशिश

चालों मेरे वही दविश – आजमाएँगे श्रीमान।

दुनिया में मेरा नाम नहीं

चर्चित हो ऐसा काम नहीं

सर पर मेरे इल्ज़ाम नहीं – कुछ पूछेंगे श्रीमान।

मेरी खुशियाँ छोटी=छोटी

दुख भी मेरे छोटे-छोटे

काट रहे हैं हँसते-गाते – देखेंगे श्रीमान।

खाते,पीते, सोते वैसे

दुख में भी हैं रोते वैसे

तेवर नहीं पर अपने वैसे – समझेंगे श्रीमान।

नीचे धरती पर हम रहते

अपने पैरों पर हम चलते

ऊपर वाले नीचे ही हैं गिरते – क्या चेतेंगे श्रीमान।

माना नहीं कोई अपना चेहरा

दिन और रात पर अपने पहरा

हाकिम अपना अन्धा-बहरा – पहचानेंगे श्रीमान।


(सृष्टि की समस्त भाषाओं के सभी अपशब्दों सहित एक अधिकारी महोदय विशेष को समर्पित)

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