top of page
nirajnabham

लाज़िम है एक अंजाम

चाहतों को चाहने वाला न मिला तो ख़ुद के नाम किया

दर्द ए दिल भी सदा हमने दर्द ए ज़िंदगी के नाम किया


किस-किस से शिकायत कर करते वक्त भला बर्बाद

रुसवाई क्या याद नहीं सब हमने साँसों के मोल लिया


ज़माना ही लगाता है दे–दे कर हमें दर्द की आदत

आखिरी शब भी न रोया तो बेदर्द कह के नाम लिया


तनहाई और दर्द की आदत, थोड़ी, थोड़ी बेचैनी

पुरलुत्फ़ जुदाई में किसने महबूब का अपने नाम लिया


क्या हो अंजाम अपना न सोचा न माँगा कभी ख़ुदा से

लाज़िम है एक अंजाम सबका किसने ख़ुदा का नाम लिया

1 view0 comments

Recent Posts

See All

वक्त लगता है

निगाह का परदा हटाने में वक्त लगता है हाल ए दिल जुबान पे आने में वक्त लगता है वो मुझे पहचान लेगा है यकीन मुझको खुद को पहचानने में बड़ा वक्त...

बात ईमान की

पैबंद पैरहन में और ख्वाहिशें दिल ए नादान की दिल है मुफ़लिस और ख्वाब गुल ए गुलिस्तान की जब भी चाहा कि सुनाऊँ उनको हाल ए दिल कहने लगे कि...

वो क्यों परेशान है

उसको ये गुमान कि वो हाकिम ए दौर ए जहान है हमें इत्मीनान कि तब्दीलकुन हर दौर ए जहान है माना कि एक बोझ है मुहब्बत डूबती हुई सांसों पर मैं...

コメント


bottom of page