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लाज़िम है एक अंजाम

  • nirajnabham
  • Oct 2, 2023
  • 1 min read

चाहतों को चाहने वाला न मिला तो ख़ुद के नाम किया

दर्द ए दिल भी सदा हमने दर्द ए ज़िंदगी के नाम किया


किस-किस से शिकायत कर करते वक्त भला बर्बाद

रुसवाई क्या याद नहीं सब हमने साँसों के मोल लिया


ज़माना ही लगाता है दे–दे कर हमें दर्द की आदत

आखिरी शब भी न रोया तो बेदर्द कह के नाम लिया


तनहाई और दर्द की आदत, थोड़ी, थोड़ी बेचैनी

पुरलुत्फ़ जुदाई में किसने महबूब का अपने नाम लिया


क्या हो अंजाम अपना न सोचा न माँगा कभी ख़ुदा से

लाज़िम है एक अंजाम सबका किसने ख़ुदा का नाम लिया

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