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nirajnabham

मुक़ाम

तेरे मेरे इश्क़ के गुजरे जमाने हो गए

बिक सके तो बेच डालो सपने पुराने हो गए


नीयत में अब खोट दिखता नहीं

तेरी गली से गुजरे जमाने हो गए


किस मुँह से दिल की बातें करूँ

मुजरिमों से अपने दोस्ताने हो गए


साया भी अब साथ न देगा अपना

रिश्ते सभी इस कदर पुराने हो गए


एतबार करना तो आदत है अपनी

जिंदगी तेरे पैंतरे पुराने हो गए


बेवफ़ाई भी अब बुरी लगती नहीं

होश वफ़ादारों के ठिकाने हो गए

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