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nirajnabham

मरदूद_ए_हरम

गम ए नुक्तचीं जब से हुआ है नसीब

क़ाबिल ए तारीफ क्या क़ाबिल ए तनकीद क्या


तू वही तो है हुस्न सितमपेशा

तेरी वफ़ा क्या तेरी बेवफ़ाई क्या


हर अंजाम से गुजर जाऊंगा

ज़ालिम तेरी क़ैद क्या रिहाई क्या


सुनने का अंदाज है उसका नया

सर हिलाता है झूठ क्या सच्चाई क्या


गुरूर हुस्न का अच्छा है वाज़िब ही रखो

आशिक को निगाहे शौक़ क्या निगाहे नाज़ क्या

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