चुरा कर ज़ुल्फ से खुशबू चलो चमन में ले चलो
छू के रंग तेरे आंचल का चलो फिजा में ले चलो
जला दे चाहे जमा दे हवा मुझको
शजर हूँ मुझको चलो मिट्टी में ले चलो
रंग घुल गया है उसका अब के बहार में
कर दो बेघर भले मुझको चलो चमन में ले चलो
मोहलत एक पल की भी न देगा वो उम्र से
नज़र का तेरी क्या भरोसा चलो मयखाने में ले चलो
शौक़ ही जीता हूँ शौक़ ही है फ़ितरत
नहीं मरता तुझ पर चलो कैदखाने ले चलो
साफ़गोई कब मेरी भला मेरे काम आई
क़ैद ए तनहाई कब तक चलो शहर में ले चलो
मर-मर के बहुत देखा है जीते हुए खुद को
देख लेंगे उसकी बेरुख़ी भी चलो महफ़िल में ले चलो
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