बस एक हलचल
- nirajnabham
- Jul 12, 2022
- 1 min read
चुरा कर ज़ुल्फ से खुशबू चलो चमन में ले चलो
छू के रंग तेरे आंचल का चलो फिजा में ले चलो
जला दे चाहे जमा दे हवा मुझको
शजर हूँ मुझको चलो मिट्टी में ले चलो
रंग घुल गया है उसका अब के बहार में
कर दो बेघर भले मुझको चलो चमन में ले चलो
मोहलत एक पल की भी न देगा वो उम्र से
नज़र का तेरी क्या भरोसा चलो मयखाने में ले चलो
शौक़ ही जीता हूँ शौक़ ही है फ़ितरत
नहीं मरता तुझ पर चलो कैदखाने ले चलो
साफ़गोई कब मेरी भला मेरे काम आई
क़ैद ए तनहाई कब तक चलो शहर में ले चलो
मर-मर के बहुत देखा है जीते हुए खुद को
देख लेंगे उसकी बेरुख़ी भी चलो महफ़िल में ले चलो
Comments