दूरियाँ बेहद करीब सी हैं
- nirajnabham
- Jan 12
- 1 min read
दिल ए खस्ता की आदतें कुछ अजीब सी हैं
गम ए हस्ती के मारों की हरकतें रकीब सी हैं
उसे तकलीफ बहुत है मेरी साफगोई से
उसके अंदाज ए नुक्ताचीं मेरे हबीब सी हैं
हर रोज पिघलता है सूरज जिनकी पेशानी पर
हौसला बहुत रखते है बस किस्मतें गरीब सी हैं
मत पूछ क्या-क्या न हुआ इस दिल के साथ
कहा जो ख्वाबों में उनकी तस्वीर हबीब सी हैं
तौबा जो कर लिया आशिकी से उनके कहे
कहने लगे ये भी आशिकी की तरकीब सी हैं
न आशिकी माँगी हमने न हुस्न उसने खुदा से
कहा शेख साहब ने ये बातें अपने नसीब सी हैं
मुस्करा के देखा और अपनी राह चली गई
कुछ दूरियाँ मेरे आज भी बेहद करीब सी हैं
留言