दुर्घटनाएँ
- nirajnabham
- Jan 30
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सरपट भागती सड़कों पर
दुर्घटनाएँ प्रमाण हैं
मानवीयता के अवशेषों का
अन्यथा सब कुछ है-
यंत्रवत!
नींद में चलते आदमी सा।
ठहरे हुए पानी में
पत्थर की तरह डूबती हैं-
दुर्घटनाएँ!
पल दो पल का आलोड़न
फिर वही उबाऊ ठहराव
उत्सुकता लीलती एकरूपता।
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