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ठोकरें सँभाल कर रखना

  • nirajnabham
  • Jan 12
  • 1 min read

ये इश्क है बेवफ़ाई भी सँभाल कर रखना

दर्द ए दिल सरमाया है सँभाल कर रखना

 

सकपकाने पे मेरे कितना हँसी थी तुम

इस हँसी को ताउम्र सँभाल कर रखना

 

गम-ए-हस्ती में जल गई वहशत दिल की

बेरुखी निगाह की अपनी सँभाल कर रखना

 

हँसता हूँ तन्हाइयों में खबर आम है

तोहमतें तमाम तू सँभाल कर रखना

 

छोटी- छोटी ख्वाहिशें गमलों में खिले फूल

सी लूँ चाक दामन बहार सँभाल कर रखना

 

मिलूँगा हर मोड़ पर पहचान पाओगे क्या

जिंदगी है निगाह-ए-नाज सँभाल कर रखना

 

रंग-ओ-बू, गम-ओ-निशात है कैद हर जर्रे में

मंसूब ए वक्त है बस ठोकरें सँभाल कर रखना

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