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nirajnabham

जब भी याद आए

जब भी याद आए

कि तुम मुझे याद कर रहीं थीं

कोशिश करना कि-

मुझसे घृणा हो जाए।

याद करना-

कितना बुरा था मैं

कितना सताता था तुम्हें

कितना रुलाता था तुम्हें

याद करना-

एक-एक बात तब तक

जब तक एक आदमी

झाँकने न लगे

तेरी यादों से होकर।

आदमी तो आदमी होता है-

चाहे कैसा दिखता हो

चाहे कैसा लगता हो

चाहे कैसा करता हो।

याद करना-

उस आदमी को

कोशिश करना घृणा हो जाए।

और जब घृणा हो जाए

तो पूरी ताकत से करना

जैसे प्यार किया जाता है

जैसे ज्वार उठता है

जैसे अंगार भड़कता है।

याद करना-

और सँजो कर रखना

फिर किसी मोड़ पर

अनायास मिल जाए नज़र

मत इंतज़ार करना

मत दया करना

बस प्रहार करना।

पिघलती है बर्फ

अपने ही भार से

जल जाएगी घृणा

अपने ही अंगार से

कोशिश करना –

कि मुझसे घृणा हो जाए।

तपती है धरती

जलता है सोना

तड़पता है प्यार

तभी पड़ती है फुहार

तभी आता है निखार

तभी फलता है प्यार।

बस, जब भी मेरी याद आए

कोशिश करना-

मुझसे घृणा हो जाए।

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