दर्द के झरने में
तेरी हँसी की अठखेलियों ने
सन्नाटे का दिल तोड़ दिया।
बहते पानी में
अक्स निहारते पेड़ों को
खुशबू ने झकझोर दिया।
जल तरंग बजाया
पत्थर पर बूंदों ने
आकाश ने बादल ओढ़ लिया।
फिर तन्हा होगा चाँद
उम्मीद के तारों ने
सपनों से नाता जोड़ लिया।
रात के झुरमुट में
घात लगाती है नींद
मुसाफ़िर ने अब डरना छोड़ दिया।
Comments