top of page

क्या थमेगा उस मुलाक़ात से

  • nirajnabham
  • Oct 2, 2023
  • 1 min read

जिस दर को भी चूमा है मेरे कदमों की ख़ाक ने

एक दिया भी जलाया वहीं मेरी जज़्बातों के निगाह ए पाक ने


इमाँ भी, फ़ितरत भी, कुदरत भी वहीं था

यादें, कुरबत, फुरसत क्या-क्या खोया इस दिल ए नापाक ने


किसने पूछा था मंजिल का पता सफ़र से पहले

आदतें, तन्हाईयाँ ,चाक जिगर, बेबाक जुबां और क्या चाहिए साथ में


कुछ तो चल रहा था मेरे क़दमों के नीचे आज तक

सवाल थे, बेचैनी थी, हम कहाँ हैं- ख़बर न हुई कभी अपने आप से


नदियों की तरह ही तो बहता आ रहा हूँ तेरी ओर

समय, सफ़र, चाहत, किनारा क्या क्या थमेगा उस मुलाक़ात से

Recent Posts

See All
कर लिया सख्त इरादा अपना

जुबां पर सख्त है पहरा तो कर लिया सख्त इरादा अपना उठाया गया जो महफिल से हो गया मुकाबिल-ए-हुस्न आशिकी अपना   लिया हाथ में पैमाना तो दिल...

 
 
 
मुस्कराने का दिल नहीं करता

मरते हैं पर उससे मिलने को दिल नहीं करता अंजाम-ए-आशिकी जानने को दिल नहीं करता   मुखातिब तो है मेरी जानिब वो जाने कब से इज़हार-ए- मुहब्बत का...

 
 
 
बुरा मान गए

दर्द ए दिल जुबान पे आया तो बुरा मान गए जख्मों के दिए दर पे सजाया तो बुरा मान गए   ख्वाब अब भी आते हैं सूनी डाल पर परिंदों की तरह बेनूर...

 
 
 

Comments


9760232738

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn

©2021 by Bhootoowach. Proudly created with Wix.com

bottom of page