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करें भी तो क्या करें

  • nirajnabham
  • Jul 29, 2024
  • 1 min read

एकरसता, एक तान, एक ऊब___

हो रहा है सब कुछ तयशुदा तरीके से

सभी चीजें हैं अपनी जगह वैसे ही

जैसे कि उसे होना चाहिए

हर चीज है पहले से निश्चित

जैसे सुबह होती है, शाम होती है

दूसरा दिन भी होता है

पहले वाले दिन ही जैसा

बस ऐसा लगता है कि

यह समय ही कुछ धीरे चल रहा है

ऊब पैदा करती है यह निश्चितता।

अनिश्चय की लहरों पर हो सवार

महसूस होने दो चेहरे पर, उड़ते बालों में

अस्तित्व की गतिमान भारहीनता में

उमंग भरी हवा का प्रवाह

दो पल तो जी लें

इस बेमतलब जिंदगी में

टूटे बस, कैसे भी टूटे

ये निश्चितता, ये एकरसता

पर डरता है दिल

कुछ और टूट न जाए

नहीं टूटती ये एकरसता, ये ऊब

बस हादसों की कड़ी में जुड़ जाएगा

एक और हादसा, जिसे भुलाना

हर रोज निश्चित हो जाएगा

जुड़ जाएगी एक और कड़ी

निश्चित समय पर घटने वाली

घटनाओं में एक और घटना

नहीं बदलने से अच्छा है टूटना

सोचता हूँ क्या बुरा होगा

ज्यादा से ज्यादा एक सबक

एक दर्द, एक अहसास

आखिर इस जिंदगी का

और करें भी तो क्या करें।

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