आज भी है वफ़ादारी मेरी
उस पल के प्रति
जिया था जिसे मैंने।
माँगता है हिसाब
चीख-चीख कर उन पलों का
लम्हों का जुलूस
गवाह था मैं सिर्फ जिसका।
कुछ नहीं है कहने को-
केवल एक सवाल है मेरे पास
जबकि माँगा जाता है जवाब।
गवाह नहीं पूछा करते सवाल
यदि न हो उत्तर किसी के पास
अप्रासंगिक हो जाते हैं सवाल
इसलिए आवश्यक है
शीघ्र खोजा जाना जवाब।
भाग रहा है समय
इतनी तेजी से
ख़त्म होने ही वाला हो जैसे
बाहर बढ़ती हुई
सर्वग्रासी सूअरों की भीड़ से
सच कहूँ –
बड़ा चैन है यहाँ कठघरे में।
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