कुछ तो है आदिम
पशुवत!
जिसे मिटाने का
करते करते प्रयास
बन गए हम इतिहास।
बाँट-बाँट कर खानों में
करते रहे विकास
होता रहा छोटा
बंट-बंट कर
सीमा हीन आकाश
और बनता रहा
हर टुकड़े का
एक अपना इतिहास।
आम हो या खास
कलई कम या ज्यादा
नेक हो इरादा
या हो खतरनाक
धड़कता रहेगा
सब की साँसों में
एक टुकड़ा इतिहास
इतिहास जो था
आदिम, पशुवत!
Comentários